कुछ अधूरे ख्वाहिशें और ख्वाबों का होना
रफ़्तार में दौड़ते वक़्त और कुछ लम्हों का ठहर जाना ।
ज़रूरी है साहब वरना जीनेका मजा ही क्या
जब पानेकी जिद और जिद करने की वजह ही ना हो ।।
रफ़्तार में दौड़ते वक़्त और कुछ लम्हों का ठहर जाना ।
ज़रूरी है साहब वरना जीनेका मजा ही क्या
जब पानेकी जिद और जिद करने की वजह ही ना हो ।।
No comments:
Post a Comment