कुछ पकड़ा कुछ छूटता सा महसूस हुवा।
कुछ उभरता कुछ डूबता सा महसूस हुवा।
पलटके देखा सब ठीक,कुछ खुश कुछ नाराज़ भी थे।
इस कसमकसमें जीना बिसरा और साँसे घटता सा महसूस हुवा।
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